70 के दशक में जब आज के सुपरस्टार अमिताभ बच्चन बॉलीवुड में स्ट्रगल कर रहे थे, तब कादर खान के लिखे डायलॉग्स की बदौलत ही उन्हें एंग्री यंग मैन की पहचान मिली थी. उस दौर में राजेश खन्ना, धर्मेंद्र और जितेंद्र सुपरस्टार थे. अमिताभ की उस समय तक हिंदी सिनेमा में कोई खास पहचान नहीं थी. जब अमिताभ को कॉमेडी किंग और डायलॉग राइटर कादर खान का साथ मिला तो वो एक के बाद एक बुलंदी छूते चले गए.
2018 की आखिरी शाम को टूट गई कादर खान की सांसों की डोर
31 दिसंबर को जब साल 2018 का आखिरी सूरज अस्त हो रहा था तब बॉलीवुड के सितारे कादर खान की सांसों की डोर भी टूट गई. कादर खान ने शाम 6 बजे आखिरी सांस ली. लंबी बीमारी के चलते कादर खान करीब चार महीने से कनाडा के एक अस्पताल में भर्ती थे. कनाडा में रह रहे उनके परिवार के मुताबिक कादर खान की मिट्टी को कनाडा में ही सुपुर्द-ए-खाक किया जाएगा.
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काबुल में जन्मे सिविल इंजीनियरिंगे प्रोफेसर थे कादर खान
कादर खान हिंदी सिनेमा की एक मशहूर शख्सियत ही नहीं, वो अपने आप हिंदी सिनेमा का एक पूरा सम्राज्य समेटे हुए थे. काबुल में जन्मे और सिविल इंजीनियरिंग के प्रोफेसर रहे खान ने 1973 में राजेश खन्ना के साथ फिल्म ‘दाग’ से फिल्मी दुनिया में कदम रखा. कादर खान ने करीब 300 फिल्मों में अलग-अलग तरह के किरदार निभाए. उन्होंने करीब 250 फिल्मों के लिए संवाद भी लिखे.
अमिताभ के करियर को दिशा देने में कादर खान का बड़ा हाथ था
शायद ये बात बहुत ही कम लोग जानते हों कि जिस दौर में राजेश खन्ना, धर्मेंद्र और जितेंद्र जैसे अभिनेता सफलता की बुलंदियों को छू रहे थे और अमिताभ बच्चन बॉलीवुड में अपनी पहचान बनाने के कोशिश कर रहे थे, तब कादर खान ही थे जिन्होंने अमिताभ बच्चन के करियर को ऐसी दिशा दी कि अमिताभ के नाम एक के बाद एक सुपरहिट फिल्में जुड़ती चली गईं. कादर खान के लिखे डायलॉग्स की बदौलत ही आज के सुपरस्टार अमिताभ बच्चन को उस दौर में एंग्री यंग मैन के रुप में सिल्वर स्क्रीन पर पहचान मिली.
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कभी सिनेमा में काम नहीं करना चाहते थे कादर खान
बताया जाता है कि कादर खान तो सिनेमा में काम ही नहीं करना चाहते थे. लेकिन मनमोहन देसाई और प्रकाश मेहरा जैसे निर्देशकों ने कादर खान को सिनेमा के लिए स्क्रिप्ट और डायलॉग्स लिखने के लिए मना लिया.
कादर खान की कलम ने अमिताभ की किस्मत लिख दी
अभिनेता बनने से पहले कादर खान ने रणधीर कपूर और जया बच्चन की फिल्म ‘जवानी दीवानी’ के लिए संवाद लिखे. फिर तो कादर खान की कलम का जादू ऐसा चला कि वो जो भी लिखते हिट हो जाता. कादर खान की इसी करामाती कलम से उस दौर में अमिताभ की किस्मत लिखनी शुरू हुई तो अमिताभ को स्टार बनते देर न लगी. उस दौर में अमिताभ के अलावा कादर खान ही थे जिन्होंने प्रकाश मेहरा और मनमोहन देसाई के साथ एक साथ काम किया. कादर खान ने ‘अमर अकबर एंथनी’, ‘मुकद्दर का सिकंदर’, ‘लावारिस’, ‘कालिया’, ‘नसीब’, ‘कूली’ और ‘सत्ते पर सत्ता’ जैसी फिल्मों में अमिताभ के लिए डायलॉग्स लिखे.
आज कादर खान के चले जाने का जिन लोगों को सबसे ज्यादा दुख हो रहा है उनमें से एक अमिताभ बच्चन भी हैं. अमिताभ बच्चन खुद कहते हैं कि मेरी ज्यादातर सफल फिल्मों के डायलॉग्स कादर खान ने ही लिखे.
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